वो मेरे गाँव की पगडंडियां,
याद दिलाती हैं कई कहानियां…
वो सुबह सुबह चिड़ियाँ का चहकना,
वो शाम ढाले उनका नीले अम्बर से घर को जाना,
वो कुएँ से मीठा पानी पीना,
वो हरे भरे जंगल,
वो लहराते खेतों में घूमना…
वो मेरे गाँव की पगडंडियां,
याद दिलाती हैं कई कहानियां…
चाँद , तारों , सितारों और जुगनुवो से रात भर बातें करना,
सुबह होते तितली , कोयल और हर पंछी को अपना साथी बनाना,
वो फैली हरी घास की चादर को,
वो सूखे पत्तों के ढ़ेर को खेल का मैदान बनाना,
वो गाँव के हर बच्चे को अपना मित्र बनाना,
वो मेरे गाँव की पगडंडियां,
याद दिलाती हैं कई कहानियां…
वो ज्येष्ठ आषाढ़ का महीना,
वो बेसब्री से आम के मौसम का इंतज़ार करना,
वो फालसे , आम्बार , कौरौन्दे , खिन्नी के स्वाद मे खो जाना,
वो सावन के झूले , वो धरती की खुशबू, वो बारिश की बूंदे,
वो मोमश्री के फूलों से पूरा घर महकना,
वो चूल्हे की आंच से सर्दी भगाना,
वो चूल्हे की राख में शकरकंद , आलू पकाना,
वो कड़कड़ाती सर्दी में दादी से परियों और शेखचिल्ली के किस्से सुनना,
और शाम ढलते ही रजाई में चले जाना,
वो होली के रंगों का इंतज़ार करना,
वो पलाश के फूलों से रंग बनाना…
हर मोड़, हर गली , हर पगडंडी में उन यादों का बसेरा होना,
वो मेरे गाँव की पगडंडियां ,
याद दिलाती हैं कई कहानियां…
Too good…tool me to my childhood and old memory lane… loved it 💖
Thanks Swapnil 😊
Very nice memories of childhoods
Thank you Papa 😊